किसी व्यक्ति की संपत्ति उसकी मृत्यु के बाद दो तरह से गुजरती है। पहला तरीका जिसके तहत ऐसा हो सकता है, एक वसीयतनामा है। दूसरी विधि, जो स्वचालित है, वह है जब मृतक व्यक्ति कोई वैध वसीयत नहीं छोड़ता है। यह उन संपत्तियों के संबंध में भी हो सकता है जो उसकी वसीयत के माध्यम से वसीयत नहीं की गई हैं। ऐसे मामलों में, उसकी पूरी संपत्ति या वसीयत के माध्यम से वसीयत नहीं की गई संपत्ति, उसके धर्म के आधार पर उसके लिए लागू उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों के अनुसार उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित हो जाती है।

प्रोबेट एक विधि है जिसके माध्यम से एक अदालत की मुहर के तहत एक वसीयत (Will ) को प्रमाणित किया जाता है। प्रोबेट इस बात का निर्णायक सबूत है कि वसीयत को वैध रूप से निष्पादित किया गया था और यह वास्तविक और मृतक की अंतिम वसीयत है। प्रोबेट से एक निजी दस्तावेज कानूनी दस्तावेज बन जाता है। प्रोबेट जब जारी कर दिया जाता है तो यह पुख्ता सबूत होता है की वसीयत वैध है, सही है और वसीयतकर्त्ता को वसीयत बनाने की पूरी योग्यता थी।

यदि कोई झगड़ा नहीं है या वसीयत को कोई चुनौती नहीं है तो प्रोबेट की कोई आवश्यकता नहीं है और संपत्ति आपस में बांटा जा सकता है। हालाँकि वसीयत को प्रोबेट कराना अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसके लिए हमेशा सलाह दी जाती हैं। जिस तरह वसीयत को पंजीकरण/रजिस्टर्ड कराना कानूनन आवश्यक नहीं है पर सलाह दी जाती है कि उसे रजिस्टर्ड करा दिया जाए इससे उस वसीयत को कुछ प्रमाणिकता मिलती है। लेकिन कानून की दृष्टि में वसीयत स्वयं में कोई सबूत नहीं है क्योंकि इसका रजिस्ट्रेशन कराया गया है। जब किसी को इसे साबित करना होता है तो इसे या तो प्रोबेट के जरिए या गवाहों का परीक्षण के जरिए साबित किया जाता है। भारत में दिल्ली सहित कई राज्यों में यह जरुरी नहीं है कि वसीयत को प्रोबेट कराया जाए।

क्या एक पंजीकृत/रजिस्टर्ड वसीयत को प्रोबेट कराना जरूरी है? सबसे पहले कानूनन वसीयत को रजिस्टर्ड कराना जरूरी नहीं है इसी तरह से वसीयत को प्रोबेट कराना भी जरूरी नहीं है लेकिन आप चाहते हैं कि भविष्य में कोई संदेह (चूंकि वसीयत लिखने वाला अब इस दुनिया में नही है) न हो तो वसीयत को प्रमाणित करने के लिए प्रोबेट कराना चाहिए। प्रोबेट से वसीयतकर्त्ता की वसीयत बनाने की योग्यता (testamentary capacity) साबित भी होती है।

प्रोबेट का मतलब है कि आप किसी वसीयत की प्रामाणिकता सिद्ध करना चाहते है, और इसलिए आप कोर्ट जाते है और कोर्ट के सामने दस्तावेज रखते है। कोर्ट उस दस्तावेज को और उन सारी परिस्थिति को जांच करता है जिसमे वह वसीयत बनाई गई थी और फिर कोर्ट प्रमाणपत्र देता है कि वसीयत सही है। इसका फायदा यह होता है कि कल को कोई वसीयत को चुनौती देता है तो कोर्ट का यह प्रमाणपत्र (प्रोबेट आर्डर ) काम आता है।

प्रोबेट के लिए आवेदन जमा करते समय आपको कुछ दस्तावेज साथ में जमा करना होता है जो साबित करें कि –

  • वसीयत असली है और अंतिम वसीयत है जिसे वसीयतकर्त्ता के द्वारा बनाया गया है,
  • वसीयतकर्त्ता के मृत्यु के संबंध में प्रमाण जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र, और
  • वसीयत, वसीयतकर्त्ता द्वारा स्वस्थचित मन से पूरे होशो हवास में बनाया गया है।